Monday, September 1, 2014

BOODHOORT


Pages: 48
बुधूर्त # 2549 बांकेलाल को मिल गई है बूधू विद्या और बूधू भस्म जिसकी मदद से उसने बना डाला है राजा विक्रमसिंह का बूधू पुतला| अब जैसे ही बांके मरोड़ता है पुतले के हाथ मुड़ जाता है विक्रम का भी हाथ और बस अब बांकेलाल तोड़ने ही वाला है पुतले की गर्दन|




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