Thursday, September 25, 2014

BANKELAL DIGEST 17


लो मैं आ गया-794 लेखक : तरुण कुमार वाही, चित्रांकन : बेदी, संपादक : मनीष गुप्ता ढेर सारे मंदिरों के उदघाटन में पहुंचे राजा विक्रमसिंह और बांकेलाल! परंतु बांके की मक्कारी से त्रस्त ऋषियों ने उसे भेज दिया सूखे कुएं से जल लाने को! उस सूखे कुएं में रहते थे चार भूत जो बांके के डर से उसको सौंपते हैं चार चमत्कारी पाए जो महाअनिष्टकारी हैं! बांके उनको विक्रम के पलंग के पाए से बदल देता है ताकि मुच्छड़ हो जाए बावला! क्या बांके अपने मकसद में सफल हो पाया? हम किसी से कम नहीं-804 लेखक : तरुण कुमार वाही, चित्रांकन : बेदी, संपादक : मनीष गुप्ता बांकेलाल के षड्यंत्र का निशाना बन गए स्वयं शिवपुत्र गणेश! भगवान शिव विवश हैं क्योंकि वो बांकेलाल को नहीं दे सकते कोई दंड! तो क्या गणेश बांके को बिना दंड दिए ऐसे ही छोड़ देंगे भला? या बांके को दिलाएंगे ये अहसास कि हम किसी से कम नहीं! चोटी हो गई मोटी-814 लेखक : तरुण कुमार वाही, चित्रांकन : बेदी, संपादक : मनीष गुप्ता बांकेलाल के षड्यंत्र में फंस कर इस बार राजा विक्रमसिंह को बनना पड़ा रामलीला में सीता! मगर सीता बने विक्रमसिंह का हरण करके ले गया असली राक्षस! अब विक्रमसिंह का विवाह कराया जा रहा है एक राक्षस से! क्या यह विवाह हो पाया? विक्रम चले ससुराल-824 लेखक : तरुण कुमार वाही, चित्रांकन : बेदी, संपादक : मनीष गुप्ता बांकेलाल के षड्यंत्र का निशाना बना राजकुमार मोहक जिसका अपहरण कर लिया राजा केसरसिंह ने जो राजा विक्रमसिंह के श्वसुर राजा चंदनसिंह का परमशत्रु है! उसने धमकी दी कि अगर चन्दनसिंह ने अपनी नई दुल्हन भानुमती को तलाक नहीं दिया तो मोहकसिंह जीवित नहीं लौटेगा! तब चंदनसिंह की गृहस्थी को बचाने और अपने पुत्र मोहक को लाने विक्रम चल देता है ससुराल! क्या वो अपने उद्देश्य में सफल हो पाया? बांकेलाल का आटा-बाटा-834 लेखक : तरुण कुमार वाही, चित्रांकन : बेदी, संपादक : मनीष गुप्ता राजकुमार तीतर और राजकुमारी बटेर की शादी में सम्मलित होने निकले राजा विक्रमसिंह और बांकेलाल! रास्ते में विक्रमसिंह को मारने के प्रयास में बांकेलाल खुद ही रथ से गिर गया और फंस गया जंगली नरभक्षियों के जाल में! जिन्होंने मिलकर कर दिया बांकेलाल का आटा-बाटा! आखिर क्या था ये आटा-बाटा? काटो-काटो-844 लेखक : तरुण कुमार वाही, चित्रांकन : बेदी, संपादक : मनीष गुप्ता वन में आम तोड़ते बांकेलाल का सामना हुआ कट्टो गिलहरी से जिसके काटने से कोई भी प्राणी पिलपिला और कटखना हो जाता है! गिलहरी को देख कर बांके के मन में पनपी एक कटखनी योजना और उसने कट्टो से विक्रमसिंह को कटवा दिया जिसके फलस्वरूप विक्रमसिंह हो गया पिलपिला और कटखना! अब क्या होगा?
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